٤٩ (4:50) أَلَمْ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ يُزَكُّونَ أَنفُسَهُم ۚ بَلِ ٱللَّهُ يُزَكِّى مَن يَشَآءُ وَلَا يُظْلَمُونَ فَتِيلًا
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो स्वयं को पवित्र मानते हैं?बल्कि अल्लाह जिसे चाहता है पवित्र कर देता है और उनपर ज़रा भी अत्याचार नहीं किया जाएगा।
١٢٣ (4:123) مَن يَعْمَلْ سُوٓءًۭا يُجْزَ بِهِۦ وَلَا يَجِدْ لَهُۥ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلِيًّۭا وَلَا نَصِيرًۭا
जो कोई बुराई करेगा, उससे उसका बदला लिया जाएगा और वह अल्लाह के सिवा अपना कोई मित्र या सहायक न पाएगा।
विश्वासघाती "मुस्लिम आतंकवादी" अहमदिया मुसलमानों को खत्म करने के लिए मामले को अपने हाथ में लेने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, या तो घिनौनी हत्याओं के माध्यम से या उनसे इस्लाम का पालन करने के अधिकार को छीनकर। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये तथाकथित मुसलमान - मैं यह कहने का साहस करता हूं कि उनके गैर-इस्लामी आचरण के कारण - अहमदिया मुसलमानों के विश्वास पर निर्णय ले रहे हैं तथा उन्हें पाकिस्तान में मस्जिदों की दीवारों पर या अपने घरों की दीवारों पर विनम्रतापूर्वक कलिमा (शहादत) लिखने के उनके अधिकार से वंचित कर रहे हैं। इस विनम्र व्यक्ति के लिए यह देखना दुखद है कि मुस्लिम भाई अपने अन्य मुस्लिम भाइयों को शहीद कर रहे हैं, विशेष रूप से वे भाई जिन्होंने सभी बाधाओं और कठिनाइयों के बावजूद मसीह हज़रत मिर्जा गुलाम अहमद (अ स) को स्वीकार किया है।
मैंने कई बार पाकिस्तान की सरकार और मुल्लाओं को उनके अहमदिया मुस्लिम भाइयों, बहनों और बच्चों के प्रति उनके घृणित व्यवहार के बारे में चेतावनी दी है, लेकिन उन्होंने इस युग के अल्लाह के रसूल, इस विनम्र व्यक्ति की चेतावनियों पर कोई ध्यान नहीं दिया। जब उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल की चेतावनियों की अनदेखी की, तो अल्लाह ने बार-बार सभी प्रकार की विपत्तियां भेजीं, जिससे पूरा पाकिस्तान पंगु (paralyzed) हो गया।
पाकिस्तान के इन लोगों ने सारी हदें पार कर दी हैं और पाकिस्तान में मेरे भाइयों, बहनों और बच्चों की पवित्र मस्जिदों से अल्लाह और पवित्र पैगंबर मुहम्मद (स अ व स) का नाम मिटाने की पूरी कोशिश की है। उन्होंने अहमदिया मुसलमानों के प्रति अपनी नफरत को महज नफरत की भावना से बदलने में संकोच नहीं किया है, बल्कि वे नफरत की अपनी कसमों को अमल में लाने की हद तक चले गए हैं।
सावधान रहो, पाकिस्तान, अल्लाह का प्रकोप तुम्हारे ऊपर अप्रत्याशित तरीकों से बार-बार आएगा। आपने अपनी धरती पर आई विपत्तियों को तथा अपने ही लोगों द्वारा अंजाम दिए गए आतंकवादी कृत्यों को देखा है। अल्लाह ने अपने प्रिय मसीहा हज़रत मिर्ज़ा गुलाम अहमद की सत्यता का स्पष्ट प्रमाण दिया है, और मैं, इस महान और विनम्र व्यक्ति के शिष्य के रूप में, हज़रत मिर्ज़ा गुलाम अहमद (अ स) से नफरत करने वाले तथाकथित मुल्लाओं के गैर-इस्लामी कार्यों की स्पष्ट रूप से निंदा करता हूं।
यदि आप इसी प्रकार निर्दोष लोगों को शहीद करते रहेंगे और उनकी हत्या करते रहेंगे, तो क्या आपके देश में आई हाल की आपदाएं आपके विनाश का संकेत नहीं हैं? किसी भी मनुष्य को अपने भाई के विश्वास का न्याय करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल अल्लाह को है। आप कौन होते हैं यह कहने वाले कि किसे मुसलमान कहा जाए? पवित्र कुरान में अल्लाह ने ईमान वालों को स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि कोई व्यक्ति तुम पर सलाम भी भेजे तो तुम्हें यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि वह मुसलमान नहीं है। केवल अल्लाह ही अपने बन्दों के ईमान को जानता है, मनुष्य नहीं!
इसलिए, मैं इन तथाकथित मुल्लाओं और पाकिस्तान सरकार को आमंत्रित करता हूं, यदि उन्हें "कोई डर" नहीं है और वे सोचते हैं कि वे सही रास्ते पर हैं और सही तरीके से काम कर रहे हैं (अहमदी मुसलमानों के साथ उनके व्यवहार के बारे में) तो वे पवित्र कुरान के निर्देश के अनुसार, इस युग के खलीफतुल्लाह के साथ मुबाहिला (प्रार्थना का द्वंद्व) में आगे आएं। यह दुआ का मुकाबला मसीह मौऊद हज़रत मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद (अ स) और इस विनम्र व्यक्ति की सच्चाई का निर्धारण करेगा।
अगर आपको लगता है कि आप इस्लाम के महान रक्षक हैं और पाकिस्तान में अहमदी मुसलमानों को उनके इस्लाम का पालन करने के अधिकार से वंचित करने के लिए निर्णय ले सकते हैं, तो आगे आइये।
जैसा कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने पवित्र कुरान अध्याय 3 आयत 62 में कहा है
تَعَالَوْا۟ نَدْعُ أَبْنَآءَنَا وَأَبْنَآءَكُمْ وَنِسَآءَنَا وَنِسَآءَكُمْ وَأَنفُسَنَا وَأَنفُسَكُمْ ثُمَّ نَبْتَهِلْ فَنَجْعَل لَّعْنَتَ ٱللَّهِ عَلَى ٱلْكَـٰذِبِينَ
"आओ हम अपने बच्चों और तुम्हारे बच्चों को, अपनी स्त्रियों और तुम्हारी स्त्रियों को, अपने आप को और तुम्हें बुलाएँ, फिर झूठ बोलने वालों पर अल्लाह की लानत भेजें।"
मैं इस प्रार्थना-द्वंद (duel of prayer) पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा हूँ। कोई भी मनुष्य अल्लाह को, जिसे वह चाहता है, सम्मान देने और मानव जाति के लाभ के लिए उसे अपना प्रिय बनाने से नहीं रोक सकता। मस्जिदों और घरों की दीवारों से अल्लाह का नाम मिटाना, जहां अल्लाह का नाम प्रतिदिन स्मरण किया जाता है, एक घृणित अपराध है। अब, क्या आप इन अहमदिया मुसलमानों के दिलों और आत्माओं से अल्लाह का नाम मिटा सकते हैं, जो अल्लाह और उसके रसूल हजरत मुहम्मद (स अ व स) के प्रति समर्पित हैं? तुम अपने इस घृणित मिशन में कभी सफल नहीं हो सकोगे। अल्लाह आपको कभी भी उस ईमान की निकटता पर इस तरह के घृणित हमले में विजयी नहीं होने देगा जो एक बन्दे की अपने प्रभु के साथ होती है, भले ही अन्य लोगों की अल्लाह के उस विशेष बन्दे के बारे में जो भी राय हो।
अहमदिया मुसलमान इंसान की नज़र और शान के लिए नहीं बल्कि अल्लाह की नज़र और खुशी के लिए मुसलमान हैं अल्लाह सिर्फ़ उन्हीं को राह दिखाता है जो हिदायत के काबिल हैं
अल्लाह ने कुरान में आप जैसे लोगों का वर्णन इस तरह किया है
وَذَرِ ٱلَّذِينَ ٱتَّخَذُوا۟ دِينَهُمْ لَعِبًۭا وَلَهْوًۭا وَغَرَّتْهُمُ ٱلْحَيَوٰةُ ٱلدُّنْيَا ۚ وَذَكِّرْ بِهِۦٓ أَن تُبْسَلَ نَفْسٌۢ بِمَا كَسَبَتْ لَيْسَ لَهَا مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلِىٌّۭ وَلَا شَفِيعٌۭ وَإِن تَعْدِلْ كُلَّ عَدْلٍۢ لَّا يُؤْخَذْ مِنْهَآ ۗ أُو۟لَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ أُبْسِلُوا۟ بِمَا كَسَبُوا۟ ۖ لَهُمْ شَرَابٌۭ مِّنْ حَمِيمٍۢ وَعَذَابٌ أَلِيمٌۢ بِمَا كَانُوا۟ يَكْفُرُونَ ٧٠ (6:70)
और छोड़ दो उन लोगों को जिन्होंने अपने धर्म को खेल और मनोरंजन बना लिया है और जिन्हें सांसारिक जीवन ने धोखा दे दिया है। और इस बात की नसीहत करो कि कोई प्राणी अपने कर्मों के कारण नष्ट न हो जाए। अल्लाह के सिवा उसका न कोई मित्र है और न कोई सिफ़ारिश करनेवाला। और यदि वह हर प्रकार का बदला भी दे, तो भी उससे वह स्वीकार न किया जाएगा। ये वे लोग हैं जो अपनी कमाई के कारण नष्ट हो जाते हैं। उनके लिए खौलता हुआ पानी और दुखद यातना है, क्योंकि उन्होंने इनकार किया।
لَا تَحْسَبَنَّ ٱلَّذِينَ يَفْرَحُونَ بِمَآ أَتَوا۟ وَّيُحِبُّونَ أَن يُحْمَدُوا۟ بِمَا لَمْ يَفْعَلُوا۟ فَلَا تَحْسَبَنَّهُم بِمَفَازَةٍۢ مِّنَ ٱلْعَذَابِ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌۭ ١٨٨ (3:188)
यह न समझो कि जो लोग अपने कर्मों पर गर्व करते हैं और जो कर्म नहीं किए हैं, उस पर प्रशंसा चाहते हैं, तो यह न समझो कि वे यातना से सुरक्षित हैं, उनके लिए दुखद यातना है।
"व सौफ ता'लमून"
और वे (इस वादे की सच्चाई) जान लेंगे।
मुनीर अहमद अज़ी
हज़रत अमीरुल मोमिनीन मुहिउद्दीन अल खलीफतुल्लाह
04 अक्टूबर 2009