जुम्मा खुतुबा
हज़रत मुहयिउद्दीन अल-खलीफतुल्लाह
मुनीर अहमद अज़ीम (अ त ब अ)
23 May 2025
24 Dhul Qaddah 1446 AH
दुनिया भर के सभी नए शिष्यों (और सभी मुसलमानों) सहित अपने सभी शिष्यों को शांति के अभिवादन के साथ बधाई देने के बाद हज़रत खलीफतुल्लाह (अ त ब अ) ने तशह्हुद, तौज़, सूरह अल फातिहा पढ़ा, और फिर उन्होंने अपना उपदेश दिया: इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष
हमास और पीएलओ (PLO)-फतह
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष आधुनिक इतिहास में सबसे गंभीर और गहराई से व्याप्त संकटों में से एक है। फिलिस्तीनियों को उस भूमि पर शांति से रहने का वैध अधिकार है जहां वे सदियों से रह रहे हैं। हालाँकि, उपनिवेशवादी ज़ायोनी उद्यम ने व्यवस्थित रूप से उन्हें उनके बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित कर दिया है, भूमि पर कब्ज़ा कर लिया है और अमेरिका, यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में पैदा हुए यहूदियों के लिए रास्ता बनाने हेतु मूल निवासियों को निष्कासित कर दिया है। इजरायल ने मूल फिलिस्तीनी अरबों के खिलाफ एक रंगभेद प्रणाली स्थापित की है, जिसके कानून केवल यहूदी नागरिकों की रक्षा करते हैं, जबकि गैर-यहूदी आबादी के लिए कोई कानूनी सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं - फिर भी यह अभी भी इस क्षेत्र में एकमात्र लोकतंत्र होने पर गर्व करता है।
हमास लगातार अपने संघर्षों से नई ताकत और दृढ़ संकल्प के साथ उभरता रहता है, और दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक को चुनौती देने के लिए हमेशा तैयार रहता है। अब, हमास क्या है?
1950 के दशक में स्थापित हमास एक इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन है जो फिलिस्तीन पर इजरायल के कब्जे का विरोध करता है। इसकी उत्पत्ति मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड (Egypt’s Muslim Brotherhood) की एक शाखा के रूप में हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य संघर्ष के माध्यम से सभी कब्जे वाले अरब भूमि को मुक्त कराना था - यह फिलिस्तीन मुक्ति संगठन {Palestine Liberation Organization }(पीएलओ -PLO) के विपरीत था, जिसने एक खंडित फिलिस्तीनी राज्य को सुरक्षित करने के प्रयास में वार्ता को आगे बढ़ाया।
1974 में, जब पीएलओ-PLO (फिलिस्तीन मुक्ति संगठन){Palestine Liberation Organization} और फतह (जिसे पहले फिलिस्तीनी राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन के रूप में जाना जाता था) के तत्कालीन अध्यक्ष यासर अराफत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया, तो उन्होंने शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत करने की अपनी इच्छा का संकेत दिया। अराफत के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू प्रभाव से चिंतित होकर, इजरायल ने फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ-PLO) का प्रतिकार करने के लिए औपनिवेशिक शासन (colonial governance) की याद दिलाने वाली फूट डालो और राज करो की रणनीति को लागू किया। विडंबना यह है कि इजरायल ने 1987 में हमास को गुप्त रूप से समर्थन दिया, जिससे धार्मिक संस्थाओं और धर्मार्थ संगठनों के माध्यम से उसका विस्तार संभव हो सका। इन प्रयासों के बावजूद, हमास अपने उद्देश्यों पर अडिग रहा और अंततः इजरायल ने उस आंदोलन पर नियंत्रण खो दिया जिसे उसने बढ़ावा देने में मदद की थी।
31 जुलाई 2024 को इस्माइल हनीया की हत्या के बाद, हमास ने याह्या सिनवार को आंदोलन का नया “समग्र नेता” और हमास राजनीतिक ब्यूरो (Hamas Political Bureau)का अध्यक्ष नियुक्त किया। 2024 में उनकी मृत्यु के बाद, उनके भाई मोहम्मद सिनवार हमास के नेता बने, जब तक कि 13 मई 2025 को इजरायली हवाई हमले में उनकी हत्या नहीं कर दी गई - हालांकि उनकी मृत्यु की पुष्टि नहीं हुई है।
फिलिस्तीनी लोगों पर लगातार बमबारी और उत्पीड़न के कारण, दुनिया धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रति जागरूक हो रही है। इस्राएल की दुष्ट योजनाएँ उन लोगों के विरुद्ध सफल नहीं होंगी जो वास्तव में इस भूमि के निवासी हैं। फिलिस्तीनियों को, चाहे वे मुस्लिम हों या ईसाई, न्याय के लिए उस भूमि पर सद्भावनापूर्वक रहने का अधिकार है, जहां उन पर अत्याचार हुए हैं। फिलिस्तीन की भूमि पर यहूदियों को फिलिस्तीन में मुस्लिम-अरब पहचान को खत्म करने की शिक्षा दी गई है। फिलिस्तीन से मुस्लिम पहचान को मिटाने के अपने मिशन में उन्होंने कई ईसाइयों को भी शहीद कर दिया है। विश्व के कुछ अंतर्राष्ट्रीय यहूदी समुदाय फिलिस्तीनियों के अधिकारों के लिए लड़ते हैं। केवल चरमपंथी ज़ायोनीवादी {extremist Zionists} (क्योंकि हर यहूदी चाहता है कि फिलिस्तीन की भूमि विरासत में उनकी हो, लेकिन इस कारण से केवल चरमपंथी (extremists) ही इस्राएल के बच्चों को बदनाम करने का साहस करते हैं, चाहे वह शुद्ध रक्त संबंध से हो या आध्यात्मिक आत्मीयता (spiritual affinity) से)।
हे अल्लाह! मैं फिलिस्तीन और बाकी मुस्लिम दुनिया में अपने आध्यात्मिक बच्चों के आँसुओं के लिए आपसे प्रार्थना करता रहूँगा, जो इस्लाम से जुड़े होने के कारण कई तरह से उत्पीड़न झेल रहे हैं। चाहे वे मेरे आगमन को अपना उद्धारकर्ता मानें या नहीं, हे अल्लाह, उन पर दया कर, उन्हें उनकी भूमि वापस दे और उनके लिए शांति और सद्भाव के साथ अपने विश्वास का पालन करने की गरिमा, सम्मान और स्वतंत्रता को पुनः स्थापित कर।
हे अल्लाह! उनके दुष्ट मन वाले अत्याचारियों को नष्ट कर दे, और मुस्लिम देशों और दुनिया के दिलों को उनकी निराशा की पुकार की ओर मोड़ दे। हे मेरे न्यायी प्रभु, सर्वशक्तिमान, उन पर अपनी दया प्रकट कर और ज़ायोनीवादियों की संतानों को सच्चा मुसलमान बना और उन्हें केवल तेरे अधीन कर, और हज़रत मूसा (अ.स.) और हज़रत दाऊद (अ.स.) की सच्ची विरासत को सभी पैगम्बरों हज़रत मुहम्मद (अ.व.स) और तेरे द्वारा संसार में नियुक्त सभी चुने हुए लोगों की मुहर के प्रति उनकी निष्ठा के माध्यम से वापस ला। हे अल्लाह, फिलिस्तीन के लोगों को पवित्र आत्मा (रूहिल कुद्दुस) के साथ इस युग के दिव्य प्रकटीकरण को पहचानने के लिए मजबूत करें, और उन्हें दीन के मामलों में सच्ची अंतर्दृष्टि से आशीर्वाद दें, और आपके सम्मान और दया से, हे सबसे दयालु भगवान, उनके गौरव के दिन वापस लाएं। आमीन, सुम्मा आमीन, या रब्बल आलमीन।
अनुवादक : फातिमा जैस्मिन सलीम
जमात उल सहिह अल इस्लाम - तमिलनाडु